tag:blogger.com,1999:blog-2267464924756328291.post4192870310700882220..comments2023-05-16T21:00:03.642+05:30Comments on अपराजिता: शराब, साकी, मयखाने पर सात मुक्तक.अमिय प्रसून मल्लिकhttp://www.blogger.com/profile/03487564509696958698noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2267464924756328291.post-64144120451216127122007-12-02T13:26:00.000+05:302007-12-02T13:26:00.000+05:30साकी जी भरके पिला कि पीने की शाम हैज़रा सलीके से प...साकी जी भरके पिला कि पीने की शाम है<BR/>ज़रा सलीके से पिला कि करीने की शाम है<BR/>तेरी हर बूँद में हो यूं नशा कि लगे,<BR/>बस यार की याद में जीने की शाम है।<BR/><BR/>बहुत खूब साकी और जाम पर लिखना ख़ुद ही एक नशा है ..बहुत सुंदर लिखा है आपने अमिय !!रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2267464924756328291.post-29955034891988164562007-10-22T11:41:00.000+05:302007-10-22T11:41:00.000+05:30महफ़िल में जाने कितने खामोश हुए बैठे हैंतेरी नज़रों...महफ़िल में जाने कितने खामोश हुए बैठे हैं<BR/><BR/>तेरी नज़रों को याद कर मदहोश हुए बैठे हैं<BR/><BR/>आना न इस कदर सर-ए-बज्म आये ज़ालिम<BR/><BR/>जाने कितने पहले से ही बेहोश हुए बैठे हैं।<BR/><BR/>in lines par to mazaa aa gaya yaaar.......acha likha hai....ritusarohahttps://www.blogger.com/profile/02119354516266860471noreply@blogger.com