रंजो- गम को पीना सीखो !
अब तो हँसकर जीना सीखो !!
इज़्ज़त जहाँ में जो हुई गलीज़
फटे दामन को सीना सीखो !
जिनके लिए है खुदगर्ज़ी अहम
करना उनपे यकीं ना सीखो !
मिलेगी बेशक जहाँ में राहत
बस बनना ग़मगीं ना सीखो !
सैर कर हर शय में बेबाक
अब ठहरना कहीं ना सीखो !
-- "प्रसून"
1 टिप्पणी:
dard ko pee ke hi jiya ja sakata hai
bahu sahi aur sundar likha hai..badhaai aapko
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