!!! कापीराईट चेतावनी !!!
© इस ब्लॉग पर मौजूद सारी रचनाएँ लेखक/ कवि की निजी और नितांत मौलिक हैं. बिना लिखित आदेश के इन रचनाओं का अन्यत्र प्रकाशन- प्रसारण कॉपीराइट नियमों का उल्लंघन होगा और इस नियम का उल्लंघन करनेवाले आर्थिक और नैतिक हर्ज़ाने के त्वरित ज़िम्मेवार होंगे.

शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

*** जिसने सब ख़राब किया ***



वो बुरी नहीं थी,
मैंने उसे
जी भरके ख़राब बनाया।

उसने
प्रेम सरीखी किसी चीज़ से पहले
मुलाक़ात नहीं की थी।
मैंने उसे
ऐसे कितने ही रास्ते सुझाए।
कि वो इन पर चलने को
अपनी नयी आबोहवा से
सवाल करने लगी।

उसने तब उन मायनों को भी समझा,
जो आम भाषा में
हम और आप
नहीं समझ पाते हैं कभी।

वो समझने लगी थी फिर
कि उस पर
हज़ारों कविताएँ लिखी जा रही हैं।***

                - ©अमिय प्रसून मल्लिक

कोई टिप्पणी नहीं: