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मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

*** अगर है... ***




नशा जो है ही नहीं
अलसाए पड़े रहने से
होगा क्या!

मैं लौटकर
फिर शराब पिऊँगा
अब मुझे मृत्यु का ढोंग
अपने भीतर ही रचना है,
और उतार लेना है
मय के प्याले में
प्रेम का सारा हलाहल,
अगर वो है!***

       -✍©अमिय प्रसून मल्लिक.

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