अभी वो कमसिन है, अभी उसका उभरना है बाक़ी।
थोड़ा निखार आया है उसपे, थोड़ा और निखरना है बाक़ी॥
राह-ए-इश्क़ की ठोकरें वो सुनता आया है ज़माने से
इस बेज़ार रहगुज़र पे दिल उसका मचलना है बाक़ी।
माना कि कम है ये ज़िन्दगी मुहब्बत की खातिर
तूफाँ-ए-प्यार के लिए इक चिंगारी का निकलना है बाक़ी।
जाने क्यूँ ढूँढते हैं चराग लेकर अपनी मुहब्बत को
गम-ए-इश्क़ में दिल के टुकड़ों का बिखरना है बाक़ी।
कल महफ़िल में बेहिसाब पी ली सोहबत के नाते
आज किसी फ़रमाइश पर 'प्रसून' संभलना है बाक़ी।
- "प्रसून"
[शब्दार्थ: कमसिन = कम उम्र का; सोहबत = दोस्ती.]
1 टिप्पणी:
जाने क्यूँ ढूँढते हैं चराग लेकर अपनी मुहब्बत को
गम-ए-इश्क़ में दिल के टुकड़ों का बिखरना है बाक़ी।
beautiful bahut khub ji
badhaai
ranju
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