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मंगलवार, 2 अक्तूबर 2007

ग़ज़ल



रंजो- गम को पीना सीखो !
अब तो हँसकर जीना सीखो !!

इज़्ज़त जहाँ में जो हुई गलीज़
फटे दामन को सीना सीखो !

जिनके लिए है खुदगर्ज़ी अहम
करना उनपे यकीं ना सीखो !

मिलेगी बेशक जहाँ में राहत
बस बनना ग़मगीं ना सीखो !

सैर कर हर शय में बेबाक
अब ठहरना कहीं ना सीखो !



-- "प्रसून"

1 टिप्पणी:

रंजू भाटिया ने कहा…

dard ko pee ke hi jiya ja sakata hai
bahu sahi aur sundar likha hai..badhaai aapko